रविवार, 22 सितंबर 2024

पीसइँ मकरा, गावइँ सीता हरन

भाव - अवसर के प्रतिकूल व्यवहार करना

शाब्दिक अथॆ - मकरा (एक मोटा अनाज) पीसते समय सीता हरण का प्रसंग गाने का क्या औचित्य है

(साभार- श्री दल बहादुर सिंह, गहिरी - प्रतापगढ़ , अन्जलिका एवम् गौरव निगम)




रविवार, 15 सितंबर 2024

चलइ न पाँवइँ, रजाई क फ़ाँड़ बाँन्हइं

भाव - अपनी क्षमता से कहीं ज्यादा भार उठाने का प्रयत्न करने वालों को उलाहना देने के लिये बोला जाता है।

शाब्दिक अथॆ - चल भी न पाये, वो रजाई जैसी भारी वस्तु को धोती की तरह पहन कर चलना चाहे।

(साभार- श्री दल बहादुर सिंह, गहिरी - प्रतापगढ़ , अन्जलिका एवम् गौरव निगम)





शनिवार, 28 दिसंबर 2019

गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

शनिवार, 15 अक्तूबर 2016