२५-दिसम्बर-२००८: आज की अवधी
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ओलियाइ जाब
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किसी चीज़ या विषय में घुस जाना.
वाक्य में प्रयोग
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एतना जाड़ा परत बा कि कुलि दुनिया रजाई में ओलियान बाटइ.
टिप्पणी:
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बहुत ही रोचक शब्द है ये. कुछ क्षेत्रो में इसका प्रयोग 'प्रवेश करने' के सन्दर्भ में भी किया जाता है, जैसे कि 'हमार बस लखनऊ में ओलियातै बा, थोरिक देर में पहुँच जाबइ.
कैसी लगी आज कि अवधी? जरूर बताएं. आपके सुझाव मेरे इस प्रयास को और बेहतर बना सकते हैं. धन्यवाद.
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गुरुवार, 25 दिसंबर 2008
मड़िया : आज की अवधी
२४-दिसम्बर-२००८: आज की अवधी
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मड़िया
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जानवरों के बांधने की जगह पर पानी, गोबर, और मिट्टी का मिश्रण. ये मिश्रण जानवरों के उसके ऊपर चलने के कारण बनता है.
वाक्य में प्रयोग
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राम परसाद के घरे से मड़िया लेइ आवा. अब तक त झुराइ के खाद बनि गइ होए.
टिप्पणी:
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यह शब्द "मड़ाई" से मिलता-जुलता है. इसलिए इसे लिखने से पहले मुझे कई लोगो से इसके बारे में पूछना पड़ा. आपको इसका प्रयोग सही नही लगता तो कृपा करके अपनी टिप्पणी जरूर करें.
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मड़िया
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जानवरों के बांधने की जगह पर पानी, गोबर, और मिट्टी का मिश्रण. ये मिश्रण जानवरों के उसके ऊपर चलने के कारण बनता है.
वाक्य में प्रयोग
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राम परसाद के घरे से मड़िया लेइ आवा. अब तक त झुराइ के खाद बनि गइ होए.
टिप्पणी:
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यह शब्द "मड़ाई" से मिलता-जुलता है. इसलिए इसे लिखने से पहले मुझे कई लोगो से इसके बारे में पूछना पड़ा. आपको इसका प्रयोग सही नही लगता तो कृपा करके अपनी टिप्पणी जरूर करें.
सोमवार, 22 दिसंबर 2008
सुकठा जाना: आज की अवधी
२३-दिसम्बर-२००८: आज की अवधी
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सुकठा जाना
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दुबला-पतला हो जाना, जैसे की कोई चीज़ सूख गई हो.
वाक्य में प्रयोग
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देखा बेटवा, ठीक से खा-पिया नाहीं त रमुआ के नाई सुकठाइ जाबा.
टिप्पणी:
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कैसी लगी आज की अवधी? जरूर बताएं.
अगर आपके पास ऐसी कोई मजेदार अवधी है जो आप हम सबसे बांटना चाहते हैं तो मुझे अनुराग.दुबे@जीमेल.कॉम (anuraag.dubey@gmail.com) पर ईमेल करें.
और हाँ इस शब्द को प्रयोग करने का अपना अनुभव भी जरूर बतायें.
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सुकठा जाना
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दुबला-पतला हो जाना, जैसे की कोई चीज़ सूख गई हो.
वाक्य में प्रयोग
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देखा बेटवा, ठीक से खा-पिया नाहीं त रमुआ के नाई सुकठाइ जाबा.
टिप्पणी:
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कैसी लगी आज की अवधी? जरूर बताएं.
अगर आपके पास ऐसी कोई मजेदार अवधी है जो आप हम सबसे बांटना चाहते हैं तो मुझे अनुराग.दुबे@जीमेल.कॉम (anuraag.dubey@gmail.com) पर ईमेल करें.
और हाँ इस शब्द को प्रयोग करने का अपना अनुभव भी जरूर बतायें.
मलगोब्बा काढ़ना: आज की अवधी
२२-दिसम्बर-२००८: आज की अवधी
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मलगोब्बा काढ़ना
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नाराज हो कर/रूठ कर मुंह फुलाना.
वाक्य में प्रयोग
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हे रामू क माई, काहे मलगोब्बा काढ़े़ हऊ. काल बजारे से तोहै बिना इमरती लियाइ देब.
टिप्पणी:
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काफ़ी मजेदार अवधी है आज की. अगली बार जब आपकी पत्नी आपसे रूठे तो इसका प्रयोग करे. मुझे पूरा विश्वास है वोह झट से मान जायेगी. इस शब्द को प्रयोग करने का अपना अनुभव जरूर बतायें.
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मलगोब्बा काढ़ना
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नाराज हो कर/रूठ कर मुंह फुलाना.
वाक्य में प्रयोग
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हे रामू क माई, काहे मलगोब्बा काढ़े़ हऊ. काल बजारे से तोहै बिना इमरती लियाइ देब.
टिप्पणी:
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काफ़ी मजेदार अवधी है आज की. अगली बार जब आपकी पत्नी आपसे रूठे तो इसका प्रयोग करे. मुझे पूरा विश्वास है वोह झट से मान जायेगी. इस शब्द को प्रयोग करने का अपना अनुभव जरूर बतायें.
रविवार, 21 दिसंबर 2008
पायलागी: आज की अवधी
२१-दिसम्बर-२००८: आज की अवधी
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पायलागी
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पैर छू कर बड़े बुजुर्गो और श्रेष्ट जनों को अभिवादन करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द.
पायलागी के अन्य रूप
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पालागी, पालगी
टिप्पणी:
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अवधी आम भाषा में इस शब्द का काफ़ी प्रचलन है, फिर भी मैंने 'पायलागी' से इस ब्लॉग का प्रारम्भ आप सब के अभिवादन के रूप में किया है. इस ब्लॉग में मैं अवधी के चुनिन्दा कुछ ऐसे शब्द प्रस्तुत करना चाहता हूँ जिनका प्रचलन काफ़ी सीमित है या फिर वो किसी विशेष सन्दर्भ में ही प्रयोग लिए जाते हैं इसलिए उनकी जानकारी आज की नई पीढी जो शहरों में बसी है उसको नही है.
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पायलागी
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पैर छू कर बड़े बुजुर्गो और श्रेष्ट जनों को अभिवादन करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द.
पायलागी के अन्य रूप
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पालागी, पालगी
टिप्पणी:
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अवधी आम भाषा में इस शब्द का काफ़ी प्रचलन है, फिर भी मैंने 'पायलागी' से इस ब्लॉग का प्रारम्भ आप सब के अभिवादन के रूप में किया है. इस ब्लॉग में मैं अवधी के चुनिन्दा कुछ ऐसे शब्द प्रस्तुत करना चाहता हूँ जिनका प्रचलन काफ़ी सीमित है या फिर वो किसी विशेष सन्दर्भ में ही प्रयोग लिए जाते हैं इसलिए उनकी जानकारी आज की नई पीढी जो शहरों में बसी है उसको नही है.
सोमवार, 15 दिसंबर 2008
हमार पहिला अवधी ब्लॉग
बहुत दिना से हम अवधी भाषा के बारे में लिखई चाहत रहे लेकुन हमका ई नाई पता रहा की अब देवनागरी लिपि में इन्टरनेट पे लिखायी आसान होई गई बाटे. पिछले शनीचर जब हमई ई पता चला की गूगल क कुछ इंजिनियर मिल के एक नयी तकनिकी क विकास किहे हयेन, तब हमरी खुशी क ठिकाना नाई रहा अउर हम लपक के ई इन्टरनेट ब्लॉग क निर्माण किहे और लिखई बैठि गए. ई ब्लॉग क मध्यम से हम भारत क उत्तरप्रदेश क जौनपुर जिला क तिलवारी/पिल्किछा (बदलापुर) क्षेत्र में बोलई जाई वाली अवधी भाषा क कुछ चुनिन्दा शब्द अउर कहावत सबके सामने प्रस्तुत करबई. हमरी ई प्रस्तुति में आप सब के गड़ेरिहा/कोल्हुआ (जौनपुर) क्षेत्र क अवधियौ क झलक देखाइ पड़े, काहे से कि हमार ननियाउर गड़ेरिहा/कोल्हुआ में बा. कौनो त्रुटी होवै त कृपा कई के ओका सामने लावै, हम सुधार करइ क पूरा प्रयत्न करबई. आप सबन के सहयोग से हमार सबे क आवै वाली पीढी और देश-दुनिया के बाकी जने क बीच में अवधी भाषा क जानकारी बढ़त रहे. धन्यवाद.
गूगल क ट्रांस्लितेरेशन तकनिकी क बारे में ज्यादा जानकारी बिना आप ई इन्टरनेट पते पे जावे.
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